The one who does not know the struggle of life is either an immature soul, or a soul who has risen above the life of this world.
Friday, August 27, 2010
क्या जरूरी है कि इंसान भला कहलाए जाने के लिए इतना दब्बू और बोदा बन जाए कि उसके साथ जो अन्याय हो रहा है, उसका विरोध तक न करे? बस चुपचाप सारी ज्यादतियाँ सहता जाए? नहीं, यह अच्छी बात नहीं है। इस तरह खामोश रहने से काम नहीं चलेगा। अपने आप को बनाए रखने के लिए तुम्हें इस संसार से लड़ना होगा। मत भूलो कि इस संसार में बिना अपनी बात कहे कुछ नहीं मिलता...।
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